दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से उस फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा है जिसमें विकलांग व्यक्तियों के लिए कार खरीद पर दी जा रही विशेष जीएसटी छूट (GST Subsidy) को खत्म कर दिया गया है। अदालत ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह “सकारात्मक भेदभाव” (positive discrimination) का मामला है, जिसे संविधान भी मान्यता देता है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने केंद्र से पूछा कि जब सरकार ने सभी वाहनों पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी है, तो विकलांग व्यक्तियों के लिए अलग से रियायत क्यों नहीं रखी जा सकती? अदालत ने कहा, “आपने सभी के लिए कर घटाया, लेकिन जो लोग शारीरिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए विशेष राहत क्यों नहीं दी जा सकती?”
यह याचिका ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड (AICB) ने दायर की थी, जिसमें केंद्र सरकार के 8 अक्टूबर के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जिसके तहत कारों पर जीएसटी दर में समान रूप से कमी की गई थी। इससे पहले विकलांग व्यक्तियों के लिए 18 प्रतिशत की रियायती दर लागू थी, जबकि सामान्य दर 28 प्रतिशत थी।
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सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे