भारत ने गुरुवार को अमेरिका सरकार द्वारा H-1B वीज़ा के आवेदन शुल्क में भारी वृद्धि करने के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इससे न सिर्फ भारतीय पेशेवरों और उनकी नौकरियों पर असर पड़ेगा, बल्कि बहुत सी पारिवारिक और मानवीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने बताया कि सहित्य-, तकनीक-, और नवाचार-क्षेत्रों में भारत के पेशेवरों की भागीदारी ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। इस नीति से उनकी गतिशीलता से जुड़े, नौकरी-परिस्थितियों, परियोजनाओं की निरंतरता और वैश्विक साझेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
नए नियमों के तहत H-1B वीज़ा आवेदकों से अब लगभग US$ 1,00,000 वार्षिक शुल्क मांगा जाएगा। यह वृद्धि अप्रत्याशित है और यह बदलती लाइसेंस-शुल्क-प्रक्रिया कई लोगों की योजनाएँ भारी झटके में डाल सकती है।भारत-प्रवासी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की नीतियाँ उनके लिए परियोजनाओं को समय पर पूरा करना मुश्किल कर सकती हैं। नासकॉम ने कहा है कि इससे भारतीय आईटी उद्योग की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है और कर्मचारी-परिवारों के जीवन में अनिश्चितता बढ़ जाएगी।
सरकार ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका इस बदलाव से उत्पन्न खलल को समझेगा और संभव हो तो प्रभावित परिवारों, परियोजनाओं और पेशेवरों के हित में राहत की व्यवस्था करेगा। साथ ही भारत में ऐसे पेशेवरों के लिए वैकल्पिक रोजगार अवसरों के प्रावधानों पर भी विचार हो रहा है, ताकि जब/अगर लोग USA से वापस आयें तो क्षति कम हो।
नतीजा यह है कि इस नए शुल्क वृद्धि ने सिर्फ आर्थिक लेन-देन या वीज़ा-प्रक्रिया बदलने का मामला नहीं है, बल्कि हजारों लोगों के जीवन, करियर और परिवारों को प्रभावित करने वाला कदम है। ऐसे में नीति-निर्माताओं और दोनों देशों के बीच संवाद की सख्त दरकार है
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे