विदेश मामलों के मंत्री एस. जयशंकर ने अरावली समिट 2025 में वैश्विक व्यापार पर टैरिफ अस्थिरता के गंभीर प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार की गणनाएँ अब “उलटाई जा रही हैं”, खासकर अमेरिकी प्रशासन की अप्रत्याशित व्यापार नीतियों के कारण। इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में आर्थिक अस्थिरता और आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
जयशंकर ने यह भी बताया कि वैश्विक विनिर्माण का लगभग एक-तिहाई हिस्सा एक ही क्षेत्र, विशेषकर चीन, में केंद्रित हो गया है। इससे आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं और देशों की आर्थिक रणनीतियों पर गहरा असर पड़ा है। इसके साथ ही, तकनीकी हेरफेर और समाजों में बढ़ते एंटी-ग्लोबलाइजेशन रुझान ने राष्ट्रों की संप्रभुता पर दबाव डाला है। इन सभी कारकों ने वैश्विक व्यापार में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है।
भारत की विदेश नीति के संदर्भ में जयशंकर ने “पड़ोसी पहले” दृष्टिकोण पर जोर दिया और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों, जैसे कि अमेरिका का प्रमुख जीवाश्म ईंधन निर्यातक बनना और चीन का नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी होना, के रणनीतिक प्रभावों पर भी चर्चा की।
जयशंकर ने कहा कि भारत को वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति में आए परिवर्तनों के अनुसार रणनीतिक रूप से तैयार रहना होगा, ताकि देश अपने वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाए रख सके। उन्होंने विश्व समुदाय को भी सतर्क रहने और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने का संदेश दिया, ताकि व्यापार और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे