सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फ़ातिमा, मीराज़ हाइदर सहित कुछ अन्य अभियुक्तों की जमानत याचिकाएँ 22 सितंबर तक के लिए टाल दी हैं। यह सुनवाई दिल्ली दंगों-हत्या-कांड के बड़े साज़िश (larger conspiracy) मामले में होनी थी, जिसमें आरोप है कि ये अभियुक्त 2020 की फ़रवरी में राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों के पीछे की साज़िश में शामिल थे। उल्लेखनीय है कि ये याचिकाएँ दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 2 सितंबर 2025 को खारिज की गई थीं, जिसमें नौ अभियुक्तों की जमानत याचिकाएँ दोषी साज़िश के “प्रारंभिक (prima facie) गंभीर” होने के आधार पर अस्वीकार की गई थीं। अभियुक्तों के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगों को उकसाने, साजिश रचने और हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई।
अभियोजन पक्ष ने यह दावा किया है कि अभियुक्तों ने झूठे या भड़काऊ भाषणों, सोशल मीडिया व व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से जनता को भड़काया, और हिंसा की योजना बनाई थी। अभियुक्तों की ओर से दलीलें उपस्थित की गई हैं कि उनकी भूमिका हिंसात्मक घटनाओं में नहीं पाई गई, कि वे पूरी तरह गिरफ्तार या सज़ा-पात्र कार्रवाई के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा चाहते हैं, और कि न्याय अधिक देर तक निलंबित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि मुकदमा तक ही नहीं पहुंचा है।
इस फैसले से अभियुक्तों को फिलहाल न्यायालय में राहत नहीं मिली है; वे अपनी जमानत याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं और अगले हफ्ते की सुनवाई से उनके भविष्य की दिशा तय होगी।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे