दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने पूर्व दिल्ली मंत्री सोमनाथ भारती को उनकी पत्नी के पक्ष में मानहानि मामले में वकील बनने से रोकने की मांग की थी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पारस दलाल ने सीतारमण की यह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि भारती अपनी पत्नी के लिए चल रहे मुकदमे में वकालतनामा वापस लें।
यह मामला मानहानि के आरोपों से संबंधित है, जिसमें भारती की पत्नी पर कथित रूप से अपमानजनक बयान देने का आरोप है। सीतारमण की याचिका का उद्देश्य था कि भारती को उनकी पत्नी का प्रतिनिधित्व करने से हटा दिया जाए, क्योंकि मामला संवेदनशील है और इसमें संभावित हितों का टकराव देखा गया।
हालांकि, अदालत ने याचिका को संतोषजनक ठहराया नहीं और भारती को उनकी पत्नी के पक्ष में कानूनी प्रतिनिधित्व जारी रखने की अनुमति दे दी। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति को अपने कानूनी प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है और इसे अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।
यह फैसला न्यायपालिका की कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, यह उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में न्याय और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने में अदालतों की भूमिका को उजागर करता है।
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उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे