हाल ही में किए गए एक फैसला में, भारत का सर्वोच्च न्यायालय वर्ष 2025 के मैसूरू दशहरा उद्घाटन समारोह में बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने की कर्नाटक सरकार की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका एच एस गौरव नामक व्यक्ति द्वारा दाखिल की गई थी। उनकी यह याचिका कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा 15 सितंबर, 2025 को जारी आदेश को चुनौती थी, जिसमें सरकार के उस निर्णय को वैध माना गया था जिसमें बानू मुश्ताक को दशहरा समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
यह याचिका हाल ही में तीसरी बार भेजी गई थी, और सर्वोच्च न्यायालय ने इसे सुनने के बाद फिर से खारिज कर दिया। अदालत ने यह नोट किया है कि इस तरह की चुनौतियों में याचिकाकर्ता ने पर्याप्त कानूनी आधार नहीं प्रस्तुत किया। इस मामले में, सरकार की ओर से कहा गया कि बानू मुश्ताक का आमंत्रण “समावेशिता” और सांस्कृतिक समर्पण की भावना का प्रतीक है और किसी संवैधानिक या कानूनी उल्लंघन का कारण नहीं है। जबकि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस तरह की भूमिका देने से धार्मिक या सामाजिक विभाजन हो सकता है।
अदालत का यह निर्णय, कर्नाटक सरकार के उस रवैये को कानूनी अनुमति देता है कि वे विशेष कार्यक्रमों में सार्वजनिक व्यक्तियों को आमंत्रित करने के अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकते हैं, जब तक कि कोई स्पष्ट कानूनी उल्लंघन नहीं हो। इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि न्यायालय सार्वजनिक घटना-आमंत्रणों से जुड़े संवैधानिक दायित्वों की सीमाओं को बहुत सख्ती से नहीं देखना चाहता है, और राजनीतिक और सांस्कृतिक निर्णयों में सरकार को,स्वायत्तता मानता है, जब तक कि प्रक्रिया पारदर्शी और संवैधानिक मानदंडों के अनुरूप हो।
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जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे