जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने कानपुर में ‘आई लव मुहम्मद’ लिखे बोर्डों पर एफआईआर दर्ज किए जाने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सवाल उठाया कि केवल तीन शब्द — “आई लव मुहम्मद” — लिखने पर कानून कैसे लगाया जा सकता है और न्यायालयों से इसे जल्दी सही करने का आग्रह किया।
यह विवाद 4 सितंबर को बरावफ़ात (ईद मिलाद-उन-नबी) जुलूस के दौरान शुरू हुआ, जब पुलिस ने सार्वजनिक सड़क पर यह बोर्ड लगाने वाले नौ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ 9 सितंबर को एफआईआर दर्ज की। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे ‘नए ट्रेंड’ और जानबूझकर उत्तेजना फैलाने वाला करार दिया।
ओमर अब्दुल्ला ने कहा कि तीन शब्दों पर मामला दर्ज करना किसी मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की मानसिकता को ही दर्शाता है। उन्होंने कहा, “किसे इन तीन शब्दों को लिखने पर आपत्ति हो सकती है? यह समझ से परे है कि सिर्फ तीन शब्द लिखने पर गिरफ्तारी हो सकती है।”
उन्होंने धार्मिक दृष्टिकोण से भी सवाल उठाया कि अन्य धर्मों के अनुयायी अपने गुरुओं और देवताओं के प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं, तो “आई लव मुहम्मद” पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे सिख भाई-बहन अपने गुरुओं के बारे में लिखते हैं, हिंदू भाई-बहन अपने देवताओं के बारे में लिखते हैं। अगर यह गैरकानूनी नहीं है, तो इस पर क्यों हो?”
इस मुद्दे ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे अपराध नहीं बताया। ओमर अब्दुल्ला ने न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा का आह्वान किया।
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं की सीमाओं पर बहस को जन्म दे रहा है।
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