अमेरिका के नए नियमों के तहत H-1B वीज़ा शुल्क में भारी वृद्धि के बाद, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने H-1B तथा H-4 वीज़ा धारक कर्मचारियों को एक आंतरिक ईमेल भेजा है, जिसमें उन्हें “कल तक अमेरिका वापस लौटने की सख्त सलाह” दी गई है। यह एडवाइज़री ऐसे समय आयी है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीज़ा आवेदन शुल्क को $100,000 कर देने का ऐलान किया है, जो 21 सितंबर से लागू होगा और अगले 12 महीनों तक प्रभावी रहेगा।
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, जिन कर्मचारियों के पास H-1B या H-4 वीज़ा है और जो फिलहाल अमेरिका में हैं, उन्हें अगले कुछ समय तक वहीं बने रहने की सलाह दी जाती है। वहीं जो कर्मचारी वर्तमान में अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें निर्धारित समय से पहले लौटने के लिए कहा गया है। इस निर्णय के पीछे प्रशासन का यह तर्क है कि सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की कंपनियाँ इस वीज़ा कार्यक्रम का दुरुपयोग कर रही थीं , अमेरिकी कामगारों को कम वेतन वाले विदेशी कर्मचारियों से प्रतिस्थापित करने में। ट्रम्प ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी बताया है।
इस कदम का सबसे ज़्यादा असर भारतीय प्रवासी समुदाय पर पड़ने की आशंका है क्योंकि H-1B वीज़ा धारकों में भारतीयों का हिस्सा 70 प्रतिशत से अधिक है। टेक कंपनियों में लगे कई भारतीय कर्मचारी या तो अमेरिका वापस जाने की योजना बना रहे हैं या यात्रा से बचने को तत्पर हैं। नियम लागू होने के बाद की अनिश्चितताओं और संभावित देरी-प्रक्रियाओं को देखते हुए, कंपनियों ने कर्मचारियों को इस बदलाव से उत्पन्न जोखिमों को ध्यान में रखकर कदम उठाने की चेतावनी भी दी है।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे