प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) बी.आर. गवैय ने खजुराहो के विष्णु प्रतिमा मामले में अपनी टिप्पणी को लेकर उठाए गए विवादों के बीच स्पष्ट किया है कि उन्हें लगता है कि उनके शब्दों को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा, “किसी ने मुझे कुछ दिन पहले बताया कि मेरी टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया है... मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ।”
यह बयान उस याचिका को खारिज करने के कुछ दिन बाद आया है जिसमें खजुराहो के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल जावरी मंदिर की सात फुट ऊँची विष्णु प्रतिमा को पुनर्स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। CJI गवैय ने इस याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” (publicity interest litigation) बताते हुए खारिज कर दिया था। इस विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब CJI ने उक्त प्रतिमा के पुनर्स्थापन की दलीलों को न्यायालय में प्रस्तुत याचिका के हिस्से के रूप में नहीं माना
न्यायालय ने यह भी कहा कि मंदिर परिसर की प्राचीन प्रतिमाएँ और संरचनाएँ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, परंतु याचिकाकर्ता के दावे पर्याप्त ठोस नहीं पाए गए। CJI का यह स्पष्टीकरण उन आलोचनाओं के बीच आया है जो धर्मों के प्रति संवेदनशील विषयों पर न्यायाधीशों की टिप्पणियों से उत्पन्न होती हैं
उन्होंने अपनी भूमिका और न्यायालय की गरिमा बनाए रखने की भावना को उजागर करते हुए कहा है कि न्यायपालिका प्रत्येक धर्म, उसकी मान्यताओं व संस्कृति का आदर करती है। इस घटना ने यह सवाल फिर से उठाया है कि सार्वजनिक हस्तियों—विशेषकर न्यायाधीशों—की टिप्पणियों को किस प्रकार से प्रसारित किया जाता है और उन पर कितनी निगरानी होनी चाहिए।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे