पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद असिफ ने हाल ही में सऊदी अरब के साथ हुए “स्ट्रेटेजिक म्यूच्यूअल डिफेन्स अग्रीमेंट ” (रणनीतिक आपसी रक्षा समझौता) को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति बनी, तो यह समझौता सऊदी अरब को पाकिस्तान का साथ देने के लिए तैयार है । समझौते की शर्तों के अनुसार, यदि किसी एक देश पर आक्रामक हमला होता है, तो दूसरी पार्टी इसे अपने ऊपर हमला समझेगी और मिलकर जवाब देगी। असिफ ने Geo TV से बातचीत में कहा कि इस तरह की स्थिति में “बिलकुल,कोई शक नहीं” सऊदी की भागीदारी होगी।
लेकिन असिफ ने वादा किया है कि यह समझौता आक्रामकता के लिए नहीं बनाया गया है, बल्कि “रक्षा-सम्बंधी” है , यह अमेरिका-NATO मॉडल जैसा “अम्ब्रेला अरेंजमेंट है, जो किसी पर हमला होने की स्थिति में दोनों देशों की रक्षा सुनिश्चित करेगा। एक विवादास्पद पहलू यह है कि असिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएँ सऊदी अरब के लिए उपलब्ध कराई जाएँगी, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कहा है कि “न्यूक्लियर हथियार इस समझौते का हिस्सा नहीं हैं” और “यह अभी रडार पर नहीं है।”
भारत ने इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह अपनी “राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता” के लिए इस तरह की स्थितियों के परिणामों का गहराई से विश्लेषण करेगा। विदेश कार्यालय ने यह भी कहा है कि भारत सऊदी अरब से अक्सर बढ़ती रणनीतिक साझेदारी में इन संवेदनशील बिंदुओं को ध्यान में रखने की उम्मीद करता है। अतः असिफ का दावा है कि सऊदी अरब अब पाकिस्तान की मदद करेगा यदि भारत-पाक युद्ध हो ,लेकिन इस दावे में कुछ अस्पष्टताएँ हैं, विशेषकर परमाणु हथियारों के सवाल पर, और यह कि आक्रामकता या बचाव
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे