इजरायल द्वारा गाज़ा के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहे एक फ्लोटिला (सहायता जहाज दल) को रोकने के बाद हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ हिरासत में बुरा व्यवहार किया गया।
रिपोर्टों के अनुसार, मलेशिया की हज़वानी हेल्मी और अमेरिका की विंडफील्ड बीवर नामक दो कार्यकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने ग्रेटा को हिरासत के दौरान धक्का दिया जाता हुआ और इजरायली झंडा ओढ़ने के लिए मजबूर किया जाता हुआ देखा। वहीं, तुर्की की कार्यकर्ता एर्सिन चेलिक ने दावा किया कि उसे बालों से घसीटा गया, पीटा गया और जबरन “इजरायली झंडे को चूमने” के लिए कहा गया। उन्होंने इस व्यवहार को “चेतावनी देने वाली सजा” बताया।
यह फ्लोटिला इजरायली नौसेना द्वारा रोका गया था, और लगभग 137 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर बाद में तुर्की भेज दिया गया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें गंदा खाना दिया गया, पर्याप्त पानी नहीं मिला, दवाइयों तक पहुंच नहीं दी गई और उनके सामान जब्त कर लिए गए।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे