विप्रो के संस्थापक आज़िम प्रेमजी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस अनुरोध को ठुकरा दिया, जिसमें बेंगलुरु के सरजापुर कैंपस के भीतर से सीमित ट्रैफिक को गुजरने की अनुमति मांगी गई थी। यह कदम आउटर रिंग रोड (ORR) पर बढ़ते जाम को कम करने के लिए प्रस्तावित किया गया था। प्रेमजी ने अपने जवाब में कहा कि सरजापुर कैंपस विप्रो की निजी संपत्ति है और यह सार्वजनिक मार्ग के रूप में उपयोग के लिए नहीं है।
उन्होंने इस पर कानूनी, प्रशासनिक और नियामक चुनौतियों का हवाला दिया और स्पष्ट किया कि निजी परिसर से सार्वजनिक ट्रैफिक की अनुमति देना नियमों का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह कैंपस स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) के तहत आता है, जहां प्रवेश के लिए सख्त सुरक्षा और नियंत्रण नियम लागू होते हैं। ऐसे में आम वाहनों को प्रवेश की अनुमति देना न तो सुरक्षित होगा और न ही यह कोई दीर्घकालिक समाधान प्रदान करेगा।
हालांकि, प्रेमजी ने सरकार के साथ सहयोग की इच्छा जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या का समाधान करने के लिए विशेषज्ञों की मदद से एक व्यापक और वैज्ञानिक अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने इस अध्ययन की लागत का एक बड़ा हिस्सा विप्रो द्वारा वहन करने की भी पेशकश की।
मुख्यमंत्री के अनुरोध का आधार एक प्रारंभिक ट्रैफिक आकलन था, जिसमें कहा गया था कि कैंपस खोलने से ORR के आस-पास जाम में 30% तक कमी हो सकती है। लेकिन प्रेमजी का मानना है कि बेंगलुरु की जटिल ट्रैफिक समस्या को एक अस्थायी उपाय से हल नहीं किया जा सकता और इसके लिए दीर्घकालिक नीतिगत बदलाव और बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है।
इस कदम से भारतीय निर्यातों पर भारी दबाव पड़ा है।
उन्होंने यह भी साझा किया कि पंजाबी भाषा सीखने का उनका अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा...
जाँच से पता चला है कि घटना मंगलवार रात हुई थी।
सौभाग्य से इस घटना में सभी यात्री और क्रू सदस्य पूरी तरह सुरक्षित रहे