दृढ़ संकल्प जाति और सुविधा से ऊपर है
मालवथ पूर्णा का अनुसूचित जाति की वंचित लड़की से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बनने तक का सफर
भारत जैसे देश में, जहाँ करोड़ों लोगों के सपने गरीबी के कारण टूट जाते हैं, मलावत पूर्ना की कहानी साहस और उम्मीद की मिसाल बनकर उभरी है। पूर्ना का जन्म 2000 में तेलंगाना के एक छोटे से गांव पाकला में हुआ था। वह एक गरीब आदिवासी परिवार से थीं, जिनकी रोज़ी-रोटी खेतों में काम करके चलती थी। बचपन में उन्हें गरीबी, लड़कियों के प्रति भेदभाव और शिक्षा की कमी जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी ज़िंदगी तब बदली जब उन्होंने तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल स्कूल में दाखिला लिया, जिसे डॉ. आर. एस. प्रवीन कुमार चला रहे थे। यहीं पर उन्होंने पहली बार पर्वतारोहण के बारे में सीखा और उनकी मेहनत और प्रतिभा ने सबका ध्यान खींचा।
कड़ी ट्रेनिंग के बाद, पूर्ना को दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए चुना गया। 25 मई 2014 को, सिर्फ 13 साल और 11 महीने की उम्र में, उन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया, और वे ऐसा करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बन गईं। ये चढ़ाई सिर्फ एक खेल की जीत नहीं थी, बल्कि गरीबी और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी था। उन्होंने बर्फ़ीले तूफानों और ऑक्सीजन की कमी जैसे खतरों का सामना करते हुए चोटी पर पहुँच कर भारत का तिरंगा लहराया। उनकी प्रेरणादायक कहानी पर "पूरना" नाम की एक फिल्म भी बनी, जिसे राहुल बोस ने निर्देशित किया। पूर्ना ने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और आज वे देशभर के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं।
आज पूर्ना का सपना है कि वह सातों महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों पर चढ़ाई करें, जिसे सेवन समिट्स कहा जाता है। अब तक वह माउंट एल्ब्रुस (यूरोप), माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका), माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका), माउंट कोसिअस्को (ऑस्ट्रेलिया), माउंट डेनाली (उत्तरी अमेरिका) और माउंट विंसन (अंटार्कटिका) फतह कर चुकी हैं। उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है, और वे संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भाषण दे चुकी हैं। पूर्ना आज शिक्षा, लैंगिक समानता और आत्म-विश्वास को बढ़ावा दे रही हैं, खासकर आदिवासी और ग्रामीण लड़कियों के लिए। वे सिर्फ एक पर्वतारोही नहीं हैं, बल्कि एक उम्मीद की किरण हैं, जो दिखाती हैं कि अगर अवसर और हिम्मत हो, तो कोई भी सपना सच हो सकता है।